भारत में Autonomous Driving – कितनी दूर हैं हम?
दुनिया की बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियाँ Self-Driving Cars पर तेजी से काम कर रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि भारत जैसे देश में 2025 तक ऑटोनॉमस ड्राइविंग कितनी हकीकत बन पाई है?
1. Autonomous Driving क्या है?
ऑटोनॉमस गाड़ियाँ वे होती हैं जो सेंसर, कैमरा और AI का इस्तेमाल करके खुद चल सकती हैं।
इनके लेवल होते हैं –
- Level 1–2: ड्राइवर असिस्ट फीचर्स (ADAS)।
- Level 3: कुछ परिस्थितियों में कार खुद चल सकती है।
- Level 4–5: पूरी तरह सेल्फ-ड्राइविंग।
2. भारत की मौजूदा स्थिति
- फिलहाल भारत में ज्यादातर कारें Level 1–2 (ADAS systems) तक सीमित हैं।
- Lane Assist, Adaptive Cruise Control और Automatic Braking जैसी तकनीक मिल रही है।
- पूरी तरह Self-Driving Cars भारत की सड़कों पर अभी दूर की बात है।
3. चुनौतियाँ
- ट्रैफिक और सड़क की स्थिति – भारत की भीड़भाड़ वाली सड़कों के लिए टेक्नोलॉजी को एडजस्ट करना कठिन।
- नियम और कानून – Self-driving को लेकर स्पष्ट कानून नहीं।
- इंफ्रास्ट्रक्चर – लेन मार्किंग, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम की कमी।
4. भारत में हो रही रिसर्च
- Tata Elxsi और Infosys जैसी कंपनियाँ AI ड्राइविंग सॉल्यूशंस पर काम कर रही हैं।
- Ola Electric और Mahindra ने ADAS से लैस कारों की टेस्टिंग शुरू की है।
5. भविष्य की संभावना
- अगले 5–7 सालों में भारत में Level 3 autonomous cars आ सकती हैं।
- पूरी तरह सेल्फ-ड्राइविंग (Level 4–5) के लिए हमें सड़क, कानून और टेक्नोलॉजी में बड़ा सुधार करना होगा।
👉 फिलहाल भारत में Autonomous Driving का सफर शुरू हुआ है, लेकिन मंज़िल अभी काफी दूर है।