भारत में समय के साथ गाड़ियों के इंजन और उत्सर्जन (Emission) मानकों में लगातार सुधार किए गए हैं।
इन मानकों को Bharat Stage (BS) Norms कहा जाता है, जिन्हें भारत सरकार ने वाहनों से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण को कम करने के लिए लागू किया है।
आइए जानते हैं — BS1 से लेकर BS6 तक गाड़ियों में क्या-क्या बदलाव हुए, और ये बदलाव क्यों ज़रूरी थे।
🔹 1. Bharat Stage Norms क्या हैं?
Bharat Stage (BS) Norms ऐसे नियम हैं जो यह तय करते हैं कि एक वाहन के इंजन से कितनी मात्रा में Carbon Monoxide (CO), Hydrocarbon (HC), Nitrogen Oxide (NOx) और Particulate Matter (PM) जैसे प्रदूषक निकल सकते हैं।
इन नियमों को यूरोप के Euro Emission Standards के समान बनाया गया है।
सरल भाषा में कहें तो — BS Norms इंजन से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण रखते हैं, ताकि हवा साफ और पर्यावरण सुरक्षित रहे।
🔹 2. BS1 से BS6 तक का सफर
🟢 BS1 (2000 में लागू)
- भारत में पहली बार emission norms लागू हुए।
- पेट्रोल और डीज़ल इंजनों में बुनियादी बदलाव किए गए।
- उस समय तकनीक सीमित थी, लेकिन यह स्वच्छ हवा की दिशा में पहला कदम था।
🟢 BS2 (2005 में)
- इंजन में fuel injection system सुधारा गया।
- Catalytic converter का प्रयोग अनिवार्य किया गया, जिससे हानिकारक गैसें कम हों।
- वाहन अब पहले की तुलना में कम धुआं छोड़ने लगे।
🟢 BS3 (2010 में)
- गाड़ियों में Electronic Control Unit (ECU) और advanced sensors लगाए गए।
- डीज़ल इंजनों के लिए कड़े मानक लागू हुए।
- इस चरण में वाहन की फ्यूल एफिशिएंसी और परफॉर्मेंस में सुधार हुआ।
🟢 BS4 (2017 में)
- BS4 नॉर्म्स के तहत Common Rail Direct Injection (CRDI) और Turbocharger तकनीक आम हुई।
- उत्सर्जन को 50% तक घटाया गया।
- गाड़ियों में On-Board Diagnostic (OBD) सिस्टम लगाया गया, जिससे इंजन और emission दोनों की निगरानी संभव हुई।
🟢 BS6 (2020 में)
भारत ने BS5 को छोड़कर सीधे BS6 लागू किया, जो अब तक का सबसे बड़ा बदलाव था।
- इंजन में Diesel Particulate Filter (DPF), Selective Catalytic Reduction (SCR) और AdBlue (DEF) सिस्टम जोड़ा गया।
- पेट्रोल इंजनों में भी Gasoline Particulate Filter (GPF) लागू हुआ।
- ईंधन में Sulphur की मात्रा 50 ppm से घटाकर 10 ppm कर दी गई।
- अब गाड़ियाँ 70–90% तक कम प्रदूषण करती हैं।

🔹 3. BS6 क्यों ज़रूरी था?
- भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा था।
- WHO के अनुसार, हर साल लाखों लोग प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।
- BS6 इंजन NOx और PM जैसे हानिकारक तत्वों को 70–90% तक कम करता है।
- इससे फ्यूल की गुणवत्ता, इंजन की लाइफ और हवा की स्वच्छता — तीनों में सुधार हुआ।
🔹 4. BS6 गाड़ियों में नई तकनीकें
- DPF (Diesel Particulate Filter): डीज़ल इंजनों से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को रोकता है।
- SCR System + AdBlue: Nitrogen Oxides को नाइट्रोजन और पानी में बदल देता है।
- OBD-II System: इंजन और emission सिस्टम की लगातार जांच करता है।
- Improved ECU Mapping: इंजन को स्मूद और फ्यूल-इफिशिएंट बनाता है।
🔹 5. BS6 का असर गाड़ियों पर
✅ गाड़ियों से निकलने वाला धुआं बहुत कम हुआ।
✅ इंजन ज्यादा स्मूद और शांत चले।
✅ फ्यूल की खपत घटी और परफॉर्मेंस बेहतर हुई।
✅ मेंटेनेंस थोड़ा बढ़ा, लेकिन पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित हुआ।

🔹 6. भविष्य की दिशा – BS7 और इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ
सरकार आने वाले समय में BS7 Norms या फिर Zero Emission Electric Vehicles (EVs) की ओर बढ़ रही है।
इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में वाहन और भी स्वच्छ, शांत और पर्यावरण के अनुकूल होंगे।
🟢 निष्कर्ष (Conclusion)
BS1 से लेकर BS6 तक का यह सफर सिर्फ तकनीक का नहीं, बल्कि स्वच्छ हवा और सुरक्षित भविष्य का सफर है।
BS6 नॉर्म्स ने भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एक नया आयाम दिया है —
जहाँ हर गाड़ी ज्यादा स्मार्ट, फ्यूल-इफिशिएंट और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार है।
👉 याद रखें — “हर साफ इंजन, एक साफ भारत।” 🇮🇳